भारत का हरित ऊर्जा का महा-अभियान: पीएम मोदी के नेतृत्व में नवीकरणीय लक्ष्यों को नई गति

नई दिल्ली: भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, एक महत्वाकांक्षी हरित ऊर्जा क्रांति के पथ पर तेजी से अग्रसर है। देश ने न केवल अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने में उल्लेखनीय प्रगति की है, बल्कि वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा परिदृश्य में एक प्रमुख शक्ति के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत किया है। यह राष्ट्रव्यापी प्रयास, जो सौर, पवन और विशेष रूप से हरित हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित है, भारत को ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक विकास और जलवायु परिवर्तन से निपटने के अपने दीर्घकालिक उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद कर रहा है। यह सबसे top news में से एक है जो देश के सतत भविष्य की दिशा को दर्शाता है।

नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों में भारत की अभूतपूर्व छलांग

भारत ने वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट (GW) की गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का एक साहसिक लक्ष्य निर्धारित किया है, और हालिया प्रगति के संकेत बताते हैं कि यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य समय से पहले हासिल किया जा सकता है। कुछ स्रोतों के अनुसार, 2035 तक 1 टेरावाट (TW) या 450 GW की क्षमता प्राप्त करने की योजनाएं भी विचाराधीन हैं। उल्लेखनीय है कि भारत ने 2025 में ही अपनी कुल ऊर्जा क्षमता का 50% स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य, जो मूल रूप से 2030 के लिए निर्धारित था, पांच साल पहले ही हासिल कर लिया है। यह उपलब्धि देश की ऊर्जा नीति की सुदृढ़ता और उसके कार्यान्वयन में प्रभावी रणनीति का प्रमाण है। भारत की यह यात्रा, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने और एक स्थायी ऊर्जा भविष्य बनाने की दिशा में trending है।

हरित ऊर्जा के प्रमुख स्तंभ: सौर, पवन और हरित हाइड्रोजन

इस हरित परिवर्तन का मुख्य आधार सौर और पवन ऊर्जा बने हुए हैं। 2014 में जहां सौर ऊर्जा क्षमता मात्र 2.63 GW थी, वहीं 2025 तक यह बढ़कर 108 GW से अधिक हो गई है, जो 41 गुना की आश्चर्यजनक वृद्धि है। पवन ऊर्जा क्षमता भी 51 GW को पार कर चुकी है। इन पारंपरिक नवीकरणीय स्रोतों के अलावा, राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (NGHM) एक महत्वपूर्ण गेम-चेंजर के रूप में उभरा है। जनवरी 2023 में लॉन्च किया गया यह मिशन, भारत को हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने का लक्ष्य रखता है। इसका उद्देश्य 2030 तक प्रतिवर्ष 5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना है, जिससे जीवाश्म ईंधन आयात में कमी आएगी और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 50 मीट्रिक टन की कमी आएगी। यह मिशन, हरित हाइड्रोजन के क्षेत्र में नवाचार और निवेश को spotlight में ला रहा है।

नीतिगत सुधार और कार्यान्वयन की रणनीतियाँ

इस महत्वाकांक्षी यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए, सरकार ने कई नीतिगत सुधार और योजनाएं शुरू की हैं। प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रियाओं और फीड-इन टैरिफ से बाजार-संचालित नीलामी में बदलाव ने सौर ऊर्जा की लागत को काफी कम कर दिया है, जिससे यह अधिक सुलभ हो गई है। अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली (ISTS) शुल्क में छूट ने नवीकरणीय ऊर्जा के निर्बाध प्रवाह को सुनिश्चित किया है। इसके अतिरिक्त, उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजनाएं, सौर विनिर्माण को बढ़ावा दे रही हैं, जिससे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को बल मिल रहा है। प्रधानमंत्री कुसुम योजना किसानों को सौर पंपों पर सब्सिडी प्रदान करती है, जबकि ‘पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना’ एक करोड़ घरों में छत पर सौर ऊर्जा स्थापित करने का लक्ष्य रखती है। इन पहलों ने भारत को नवीकरणीय ऊर्जा में एक hyped और आकर्षक बाजार बना दिया है।

वैश्विक मंच पर भारत की अग्रणी भूमिका

भारत आज नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है, जो सौर ऊर्जा में तीसरे और पवन तथा कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में चौथे स्थान पर है। पिछले 11 वर्षों में, देश की स्थापित नवीकरणीय क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है, जिससे यह एक महत्वपूर्ण स्वच्छ ऊर्जा खिलाड़ी बन गया है। वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण में भारत का योगदान न केवल उसके अपने लक्ष्यों को दर्शाता है, बल्कि यह विकासशील देशों के लिए एक प्रेरणा के रूप में भी काम करता है। री-इन्वेस्ट (RE-Invest) 2024 में वैश्विक निवेशकों ने भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य के लिए वर्ष 2030 तक ₹32.45 लाख करोड़ के निवेश का संकल्प लिया है, जो इस क्षेत्र में बढ़ते विश्वास को दर्शाता है।

भविष्य की ओर एक सतत यात्रा

भारत की हरित ऊर्जा की ओर यह यात्रा केवल ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह आर्थिक विकास और रोजगार सृजन के नए अवसर भी खोल रही है। बंदरगाहों को हरित हाइड्रोजन हब के रूप में विकसित करने जैसी नई पहलें, देश के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को भी स्वच्छ बना रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारत का हरित ऊर्जा अभियान न केवल देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह वैश्विक जलवायु कार्रवाई में एक निर्णायक भूमिका निभाने की उसकी प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करता है। यह viral होने वाला विषय भारत के उज्ज्वल और स्थायी भविष्य का प्रतीक है।